छठ व्रतधरिनयों ने तालाब मे डूबते सूरज को दिया अर्ध्य
छठ व्रतधरिनयों ने तालाब मे डूबते सूरज को दिया अर्ध्य

छठ व्रतधरिनयों ने तालाब मे डूबते सूरज को दिया अर्ध्य

छठ व्रतधरिनयों ने तालाब मे डूबते सूरज को दिया अर्ध्य महिलायों ने खरना का प्रसाद और रोटी ग्रहण करके 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ किया था |

छठ व्रतधरिनयों ने तालाब मे डूबते सूरज को दिया अर्ध्य
छठ व्रतधरिनयों ने तालाब मे डूबते सूरज को दिया अर्ध्य

छठ व्रतधरिनयों ने तालाब मे डूबते सूरज को दिया अर्ध्य

चार दिवसीय छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार 19 नवंबर को छठ व्रतधरिनयों ने नगर के  प्रमुख बूढ़ा तालाब में अस्तगामी सूर्य को अर्ध्य दिया सूर्य को अर्ध्य देने बड़ी संख्या मे नगर में निवास करने वाले बिहार, झारखंड तथा उत्तरप्रदेश के मूल निवास पहुंचे थे |उल्लेखनीय है कि लोक आस्था का महापर्व छठ कार्तिक शुक्ल कि चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता हैं| छठ पर्व को हिन्दू धर्म के प्रमुख तीज त्यौहारों मे से एक माना जाता हैं| इस व्रत को संतान की लंबी आयु , पति की स्वस्थ जीवन और घर परिवार की सुख – सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है| छठ पर्व पर व्रती महिला एवं पुरुष पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और इस दौरान कठोर नियमो का पालन करती हैं | शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास मे भगवान विष्णु का प्रत्यक्ष रूप माना जाता है| कमर तक पानी मे जाकर डूबते हुये सूर्य को अर्ध्य देने का मतलब है कि भगवान विष्णु के सूर्य रूप और जल में स्थित विष्णु के अप्रत्यक्ष रूप की पुजा एक साथ हो जाती है जिससे जीवन मे खुशहली आती हैं| शनिवार शाम को महिलायों ने खरना का प्रसाद और रोटी ग्रहण करके 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ किया था| रविवार को शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के पश्चात सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देंगे |

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