आपातकाल में इंदिरा गांधी ने सरकार के खिलाफ बोलने पर भेजा जेल

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आपातकाल में इंदिरा गांधी ने सरकार के खिलाफ बोलने पर भेजा जेल

आपातकाल में इंदिरा गांधी ने सरकार के खिलाफ बोलने पर भेजा जेल

छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप बालोद जिले में आयोजित आपातकालीन स्मृति दिवस में शामिल हुए यहां पर उन्होंने मीशा बंदियों के परिजनों का सम्मान किया इस दौरान मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि आज की वर्तमान पीढ़ी और आज के बाद आने वाले हमारे भविष्य को यह जानना बेहद अनिवार्य है क्या आपातकाल के दौरान कांग्रेस के इन लोगों ने हमारी आम जनता के साथ किया क्या था आज भी रह कहां पूछता है जब हम उनकी बातों को सुनते हैं उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के लोग शेर की खाल में भेड़िए हैं और यह हर वर्ग को परेशान करना जानते हैं।

वहीं आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई, लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधी कहा था। आज ही के दिन देशभर में आपातकाल लगाए जाने की घोषणा की थी. भारत में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 इमरजेंसी लगी थी। उस वक्त इंदिरा गांधी ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर शख्स को जेल में बंद करवा दिया था।

 

आपातकाल का वह समय और उसके आज भी प्रत्यक्ष प्रमाण है उनके परिवार कोई अपनी बेटी की मौत पर नाम बहुत पाया तो कोई अपने माता के अंतिम संस्कार में किस जेल में किसको भर देते थे कुछ पता नहीं चलता था लोकतंत्र के सिपाहियों को उनकी जुबान को बंद करने का काम किया गया वह भी केवल इंदिरा गांधी की सरकार को बनाए रखने के लिए।

 

सीएम जब चाहे कर सकते हैं मंत्रिमंडल का विस्तार

 

मंत्री केदार कश्यप से जब मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यहां पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हमारे प्रदेश के विकास के लिए कई सारी महत्वपूर्ण बातों के लिए दिल्ली गए हैं और वहां अपनी बातों को रख रहे हैं और यह सब निकट भविष्य में देखने को भी मिलेगा उन्होंने कहा कि वर्तमान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर हम कुछ नहीं कह सकते क्योंकि यह मुख्यमंत्री जी का विशेष अधिकार है।

भाजपा जिलाध्यक्ष पवन साहू ने कहा की हम सब आज आपातकाल के स्मृति दिवस में जिसे पूरा देश काला दिवस के रूप में मनाता है 25 जून 1975 को जब आपातकाल घोषित हुआ तो पूरे कांग्रेस के लोगों के हांथ में पूरी व्यवस्था आ गई, कोई लोकतंत्र नहीं कोई संविधान नहीं था मैं बहुत छोटा था मैं घर में था उसी समय पोलिस की गाड़ी आई और पिता जी को लेकर चले गए। इसी के साथ ही वरिष्ठ नेता राकेश यादव और यज्ञदत्त शर्मा ने अपनी बातों को रखा।

सुसाइड नोट लिखकर 23 वर्षीय युवती 

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