पहली बारिश में 35 लाख की लागत से बना स्कूल के छत का खुला पोल
पहली बारिश में 35 लाख की लागत से बना स्कूल के छत का खुला पोल

पहली बारिश में 35 लाख की लागत से बना स्कूल के छत का खुला पोल

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पहली बारिश में 35 लाख की लागत से बना स्कूल के छत का खुला पोल पुराने भवन को तोड़कर संधारण किया गया पर इसका हैंडओवर अब तक नहीं हो पाया है।

पहली बारिश में 35 लाख की लागत से बना स्कूल के छत का खुला पोल
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पहली बारिश में 35 लाख की लागत से बना स्कूल के छत का खुला पोल

बालोद जिले का कन्नेवाड़ा स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय जिसके पुराने भवन को तोड़कर लगभग 35 लाख की लागत से संधारण किया गया है छत को तोड़कर नया छत बनाया गया है भवन बनकर तैयार तो हुआ है पर इसका हैंडओवर नहीं हो पाया है और जगह की कमी की वजह से बच्चों को उस संधारित भवन में बैठाया जा रहा है पर इस भवन ने पहली ही बारिश में जवाब दे दिया, दीवारों से पानी का रिसाव होने लगा है खिड़कियों के दीवालों से झरनें की तरह पानी गिरता है और फर्श पर भी पानी भरा रहता है जिससे स्कूली बच्चे को काफी परेशानी होती है जेबू अनचाहा झरना है जिसके लिए बच्चों को पढ़ने में काफी दिक्कतें हो रही है।

कक्षा नवमी के छात्र जयदीप देवांगन ने बताया कि नए भवन में हमें बैठाया गया लेकिन जब एक दिन बारिश हुई तो पूरा पानी सीपेज होकर फर्श पर भर गया जिसके कारण हमें पुस्तक कापी के भीगने का डर है और तो और कमरा कीचड़ से भर आता है चलते हैं तो फिसलने का डर बना रहता है इसके साथ ही छात्र गुलशन ने बताया कि अभी तो बारिश के मौसम की शुरुआत है और आने वाले समय में यह बारिश तेज भी होगी तो पूरी बारिश यदि हमें इसी कक्षा में गुजरना पड़ा तो हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा अच्छे से विद्यालय में संधारण का कार्य नहीं किया गया है जिसके कारण छात्र-छात्राएं काफी परेशान हैं।

पहली बारिश में 35 लाख की लागत से बना स्कूल के छत का खुला पोल
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30 से 35 लाख की लागत से हुआ काम

विद्यालय की प्राचार्य कविता वानखेड़े जो की छुट्टी पर थे उन्होंने फोन के माध्यम से भवन की जानकारी दी कि यह संधारण का कार्य है जिसके लिए दुर्गा के एक ठेकेदार इसका नाम सत्य प्रकाश शुक्ला है उसे ठेका दिया गया था ठेके का कार्य ऊपर से हुआ था और जब हमने निर्माण कार्य संबंधित बोर्ड लगाने की बात की तो ठेकेदार ने बोर्ड लगाने से मना कर दिया वहीं प्राचार्य ने कहा कि अब तक जल भराव जैसी स्थिति तो हमने देखा नहीं है प्राचार्य कविता वानखेड़े ने बताया कि पहले ठेकेदार द्वारा 35 लाख की लागत बताई गई थी जिसके बाद अब ठेकेदार द्वारा इस 30 लख रुपए बताई जा रहा है और बिल्डिंग को हैंडोवर नहीं किया गया है पर बच्चों की व्यवस्था के लिए उन्हें बैठाया जा रहा है।

प्रशासन ने क्या कहा जाने पूरा मामला

पूरे मामले में अपर कलेक्टर चंद्रकांत कौशिक ने बताया कि यदि इस मामले में हैंडोवर नहीं किया गया है तो फिर पूरी भवन को दुरुस्त करने का काम किया जाएगा भवन दुरुस्त होने के बाद भी उसे हैंडओवर लिया जाएगा और जब तक पूरी तरह संतुष्टि नहीं मिल जाती ठेकेदार का पेमेंट भी रोक दिया जाएगा उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा से जुड़ा हुआ सवाल है इसलिए इसे गंभीरता से लिया जाएगा उन्होंने कहा कि देव के माध्यम से प्रतिवेदन भी लिया जाएगा।

बच्चे नए भवन से काफी असंतुष्ट नजर आए

पुराने भवन जैसे भी होते थे काफी मजबूत होते थे लेकिन बच्चों को इस तरह की समस्या नहीं होती थी अब जब संधारण कार्य किया गया है तो बच्चे नए भवन से काफी असंतुष्ट नजर आ रहे हैं किसी भी कमरे में वेंटिलेशन भी नहीं बनाया गया है और घटिया स्तर का कार्य किया गया है जिसके फलस्वरुप छत से पानी तेज होकर जमीन पर भर जाता है।

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