पत्रकार की हालत नाजुक: दुबई रिटर्न खाईवाल माफिया गिरोह फरार
पत्रकार की हालत नाजुक: दुबई रिटर्न खाईवाल माफिया गिरोह फरार

पत्रकार की हालत नाजुक: दुबई रिटर्न खाईवाल माफिया गिरोह फरार

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पत्रकार की हालत नाजुक: दुबई रिटर्न खाईवाल माफिया गिरोह फरार पुलिस ने इस मामले पर F I R किया वहीं पत्रकार विनोद नेताम का हॉस्पिटल में स्थिति नाजुक बना हुआ है।

पत्रकार की हालत नाजुक: दुबई रिटर्न खाईवाल माफिया गिरोह फरार
पत्रकार की हालत नाजुक: दुबई रिटर्न खाईवाल माफिया गिरोह फरार

पत्रकार की हालत नाजुक: दुबई रिटर्न खाईवाल माफिया गिरोह फरार

अक्सर सुना ही होगा कि पत्रकार कोई छोटा बड़ा नहीं होता है किन्तु सच्चाई यह नहीं है कि यदि बड़े न्यूज़ चैनल अथवा बड़ा मीडिया ग्रुप पर हमला या मारपीट की घटना होती तो शायद उस पत्रकार की मदद करने सभी आगे आते, मगर स्थिति यह है कि आज गरीब पत्रकार का कोई साथ नहीं दे रहा है। एक तरफ छोटे छोटे खबरों को लेकर सुर्खियां बटोरी जाती है तो आज इस खबर को कोई भी पत्रकार, रिपोर्टर जगह नहीं दे पाया शोसल मीडिया में किसी किसी ने जिक्र तो किया है एवं बाद में यह किसी कोने में अपने अस्तित्व की तलाश करती नजर आएगी, और आगे चलकर कुछ लोग इसे भूल भी जाएंगे, जो कि यह सबसे बड़ा सवाल है। एक तरफ तलवार और दूसरी तरफ कलम को दृष्टांत करने पर कलम को ही ज्यादा ताकतवर बताया जाता है, बालोद जिले के व्हाट्सप ग्रुप कलम की ताकत में सदा एक्टिव रहने वाला विनोद नेताम एक खरा लिखने वाला सच्चा कलमकार, सट्टा खाईवाल और माफियाओ की ताकत ने अपना रौद्र रूप दिखाया है और एक निहत्थे गरीब आदिवासी पत्रकार पर ज़ोर आजमाईस कर उसे मौत के मुंह में धकेल दिया है। पत्रकार पर हमला करना कांग्रेसी नेताओं का यह पहला वाकिया नहीं है, ऐसे कई मामले आए और उसे राजनीतिक दबाव के चलते ठंडे बस्ते मे रख दिया गया, एक गरीब आदिवासी पत्रकार को जातिसूचक गाली गलौच करना बहुत ही निंदनीय कृत्य है।

कद्दावर नेताओं के दबाव में पुलिस प्रशासन

बता दें कि घटना 30 जुलाई 2024 को गुरूर नगर की है जहां पत्रकार विनोद नेताम को विधायक कार्यालय में ले जाकर खबर लिखने को लेकर जातिसूचक गाली गलौच एवं धमकी दिया वहीं पत्रकार विनोद नेताम को जानलेवा हमले में अंदरूनी चोटें आई है, और हालत में सुधार नहीं होने से रायपुर के अस्पताल मे रेफर किया गया है, जहां उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है। उसके साथ मारपीट करने वाले आरोपीगण के खिलाफ एफआईआर तो कर लिया गया है वहीं सूत्रों के मुताबिक ये सब शहर से फरार चल रहे हैं, इन आरोपियों में पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा का नाम आने से क्षेत्र में इनमें से एक छुटभैया नेता जो कि चमचागीरी मे माहिर है अपने इलाके में गुंडागर्दी कर कईओ को जान से मरने की धमकी दे चुका है तो कोई खाईवाल, एक छेड़खानी के मामले मे जेल की हवा खा चुका है। हालांकि इसमें अभी तक पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा का बयान सामने नहीं आया है। किन्तु इस तरह की दबंगाई करना या करवाना उनके लिए कोई नई बात नहीं है। पूर्व में भी इस तरह के कृत्य सामने आ चुके हैं चाहे वह टिकट दिलाने के नाम पर पैसा लेने की बात हो, चाहे किसी मामले को लेकर शासन प्रशासन को धमकी और गाली गलौच करने की बात हो उनसे यह बात कोई अछूता नहीं है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में वर्तमान में कांग्रेस की सरकार नहीं है, शायद इस सदमे से छुटभैया नेता निकल नहीं पा रहे हैं, गुरूर मे करीब डेढ़ वर्ष पूर्व भेंट मुलाक़ात मे भी पूर्व सीएम भूपेश बघेल के समक्ष सट्टा माफिया के बारे में भाजपा नेता दुर्गानन्द साहू ने गुरूर नगर की भरी सभा मे अवैध शराब सट्टा कारोबार पर सवाल उठाया था मगर कोई एक्शन नहीं ले पाये। सोचिए यदि सत्ता सरकार रहती तो क्या कुछ नहीं करते कल्पना करना मुश्किल है। किन्तु सवाल तो पुछे जाएंगे कि इन आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं कर पा रही है कहीं क्षेत्रीय विधायक एवं कद्दावर नेताओं के दबाव में इन सभी को पुलिस प्रशासन बचाने का प्रयास तो नहीं कर रही है।

कांकेर जिले के एक थाने में घुसकर पत्रकार पर किया था प्रहार

वहीं कुछ वर्ष पूर्व कांकेर जिले के एक थाने में घुसकर पत्रकार पर प्रहार किया था।  मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीच बाजार में गुंडागर्दी कांग्रेस शासन काल में छत्तीसगढ़ के कांकेर में पूर्व में भी पत्रकार के साथ मारपीट कर दी गई थी पार्षद स्तर के नेता के साथ मिलकर कुछ युवकों ने पत्रकार कमल शुक्ला पर हमला किया था वहीं कमल शुक्ला का आरोप था कि मारपीट करने वाले में कांग्रेस के नेता शामिल थे पत्रकार के साथ मारपीट की सूचना जब रायपुर पहुंची तो कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील त्रिवेदी का बयान भी सामने आया था और उन्होंने कहा कि मारपीट करने वाले को पार्टी पहले ही निष्कासित कर चुकी है वहीं कमल शुक्ला ने बताया कि पूरा विवाद नगर पालिका के भ्रष्टाचार से जुड़ी खबरों की वजह से हुआ था वह लगातार इस तरह की खबरें लिख रहे थे यही वजह थी कि इलाके के माफियाओं ने उन पर हमला किया था। घटना तब हुई जब कमल और एक पत्रकार के साथ हुई मारपीट की रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचे थे। जिसका पूरा वीडियो शोसल मीडिया में वायरल हुआ था। अब इस तरह की घटना से सबक लेने का समय आ चुका है और सभी पत्रकारों को माफियाओं के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने एवं अपने आप को सुरक्षा के मद्देनजर खबर लिखने की आजादी के साथ एकजुट होकर पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने का भी समय आ गया है। ताकि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति से बचा जा सके।

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