स्वदेशी तकनीकी पर जीवंत प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण
स्वदेशी तकनीकी पर जीवंत प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण

स्वदेशी तकनीकी पर जीवंत प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण

स्वदेशी तकनीकी पर जीवंत प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण किसानों को चने के उकठा रोग के जैविक प्रबंधन हेतु ट्राइकोडर्मा का उपचार एवं पशुओं के रोग नियंत्रण पर चर्चा

स्वदेशी तकनीकी पर जीवंत प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण

स्वदेशी तकनीकी पर जीवंत प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण

जिला बालोद में प्रतिवर्ष लगभग 1300.00 है. में चने की खेती की जाती है जिसमें तना गलन एवं उकठा रोग प्रमुख समस्या है जिसको ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र बालोद के द्वारा दिनांक 21/11/2023 को ग्राम पिपरछेड़ी के किसानों को चने के उकठा रोग के जैव प्रबंधन हेतु ट्राइकोडर्मा विरिडी नामक कवक के बारे में अवगत कराया गया एवं उसका उपयोग किस तरह से करते है उसके बारे जीवत प्रदर्शन के माध्यम से बताया। चना का उकठा रोग एक मृदा जनित रोग है जो की मृदा में कई सालों तक जीवित रह सकता है, इसके लिए जैव नियंत्रक के रूप में ट्राइकोडर्मा विरिडी नामक जैव नियंत्रक कवक का उपयोग मृदा में मिलाकर या बीज उपचार करके किया जा सकता है, साथ ही साथ राइजोबियम नामक जीवाणु के बारे में बताया गया जो कि दलहनी फसल के जड़ों में गाठों में वृद्धि करता है और वायुमण्डल मे उपस्थित नाइट्रोजन का मृदा में स्थिरीकरण करता है और पौधे का रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही साथ किसानों को पशुओं में नीम पत्ती के कृमि नाशक गुण और गुड़ के स्वाथ्यवर्धक गुणों के बारे में जानकारी दी गई। पशुओं के आंत में कृमी होने के कारण उनका दूध उत्पादन कम होता है, कमजोरी, प्रजनन क्षमता में कमी और विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती है। नीम पत्ती और गुड़ को उचित मात्रा में मिलाकर उसका लेप बनाकर सुबह शाम दुधारू पशुओं में लगातार 3 दिन तक खिलाने से आंत के कृमियों का नाश होता है, स्वास्थ्य में सुधार आता है, पशुओं की प्रजनन क्षमता और पशुओं में दूध उत्पादन भी बढ़ता है। इसके अलावा अन्य पशुओं में इस तकनीक का उपयोग करके उनका कार्य क्षमता और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इस प्रशिक्षण में 20 किसानों ने हिस्सा लिया और ट्राइकोडर्मा विरिडी एवं स्वदेशी तकनीकी के उपयोग करने में उत्सुकता दिखाया, प्रशिक्षण कार्य में विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. भिमेश्वरी साहू (पौध रोग वैज्ञानिक) एवं डॉ. नीतू सोनकर (पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन वैज्ञानिक) के द्वारा संबंधित विषय की जानकारी दिया गया साथ ही कृषि विज्ञान के अन्य वैज्ञानिक इंजी. गीतेश सिन्हा, डॉ. बलदेव अग्रवाल ने किसानों के कृषि सम्बंधी समस्या पर चर्चा किया।

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