दिनांक 10.12.23 दिन रविवार को कांकेर लोकसभा के लोकप्रिय सांसद मोहन मंडावी शहीद वीर नारायण सिंह के स्मृति में आयोजित विराट वीर मेला राजाराव पठार के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस विशाल मेला में दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग पहुंचें थे। सांसद ने शहीद वीर नारायण सिंह जी की छाया चित्र की पूजा अर्चना कर उनको याद किया। जिसके बाद सांसद मोहन मंडावी ने विशाल जनसभा को संबोधित कर आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने की बात कहीं।
सांसद ने कहा कि वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, एक सच्चे देशभक्त व गरीबों के मसीहा थे। 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के समय उन्होने जेल से भागकर अंग्रेजों से लोहा लिया था। गरीबों की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की आहुति दे दी। वें आदिवासी समुदाय के प्रेरणाश्रोत हैं। आज उनका बलिदान दिवस हैं।
हमारा आदिवासी समाज इस दिवस को वीर मेला के रुप में विगत 10 वर्षों से मना रहा है। ये मेला जनोजात को जोड़ने का मेला हैं। हम आदिवासी जनोजात को लेकर चलते हैं। सांसद ने आदिवासी गीत का गायन कर आदिवासी समाज के महत्ता को बताया। उन्होंने कहा कि जल,जंगल और ज़मीन को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य हैं। आदिवासियों ने वेशभूषा डांग डोरी , देवी देवता को संरक्षित कर छत्तीसगढ़ी संस्कृति को जीवित रखे है। जिसे धर्मांतरण करने वाले मिशनरी खत्म करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हमें इनके बहकावे में नहीं आना हैं। और जनोजात को जोड़ते हुए एकजुट रहना है।
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम , पूर्व सीआईडीसी के अध्यक्ष नंदकुमार साय ,भानुप्रतापपुर विधायक सावित्री मंडावी , सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अकबर कोर्राम , सर्व आदिवासी जिला अध्यक्ष मानक दरपट्टी , हल्बा समाज प्रमुख टीआर राणा , तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रदेश उपाध्यक्ष हृदय राम सोरी , सांसद प्रतिनिधि मेहत्तर नेताम , भाजयुमो महामंत्री अजेंद्र साहू , आदिवासी समाज के पदाधिकारी व लाखों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।
जिसके पश्चात् सांसद मोहन मंडावी जी कांकेर जिले के जुनवानी,नरहरपुर में कावड़े परिवार के शोक कार्यक्रम में शामिल हुए। जहां उन्होंने शोकाकुल परिवार से मुलाकात कर दिवंगत स्व. श्री कावड़े जी को याद किया और भगवान से उनके आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।